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गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

बिखर गया परिवार

महिला कैदी-16




मेरी किताब सलाखों में सिसकती सांसे से


राह भटके दो नादानों ने अपने ही परिवार को तबाही के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। देवर- भाभी के अवैध रिश्ते का अंत हुआ भाभी की मौत के साथ। भाभी दुनिया छोड़ गई और देवर को उसके घर वाले छोड़ गए। पहुंच गए सलाखों में।

महिला कैदी कमली के साथ ऐसा ही वाकिया जुड़ा हुआ था। उसके छोटे बेटे और बड़े बेटे की बहू के बीच के अवैध रिश्ते ने अंतत: कमली, उसके पति व बड़े बेेटे को सलाखों में पहुंचा दिया।

पहले कमली की जिन्दगी की रेल गृहस्थी की पटरी पर सुकून से गुजर रही थी। घर में खुशियों का डेरा था। उनके अपने खेत थे। पति- पत्नी खेती कर गुजर- बसर करते थे। दो बेटे थे। आगे पढ़ाई नहीं कर पाने पर कमली ने अपने बड़े बेेटे की शादी कर दी थी। उस वक्त बड़े बेटे की उम्र लगभग २२ वर्ष थी। बहू पाकर कमली खुश थी। पांचवीं पास कमली अपनी दसवीं पास बहू लीला से काफी उम्मीदें पाले थी। वह उसे अपना सहारा मानती थी। लेकिन होनी को अलग ही मंजूर था। शादी के चंद दिनों बाद ही लीला अपने देवर राजेश में अधिक दिलचस्पी लïेने लगी। वे दोनों पहले से ही एक- दूसरे को जानते थे। दोनों नजदीक के ही एक गांव के स्कूल में साथ जो पढ़ते थे। एक स्कूल में साथ पढऩे की यादों के साथ वे एक- दूसरे के कुछ ज्यादा ही नजदीक आ गए। मामला शारीरिक सम्बन्ध तक जा पहुंचा। उन दोनों में शारीरिक सम्बन्ध का सिलसिला चलता रहा।

कहते हैं पाप कभी छुपता नहीं। आखिर उनके इस रिश्ते की भनक उनके घर वालों को लग ही गई और फैसला किया लीला को तलाक देने का। कमली ने लीला को पीहर छोड़ दिया। वे उसे छोडकर अपने बेटे की दूसरी शादी करना चाहते थे। दोनों के अवैध रिश्ते से निपटने का उनके पास यही एक चारा था।बार-बार पीहर छोड़ जाने के बावजूद लीला के पीहर वाले फिर उसे ससुराल छोड़ जाते।

लीला की शादी हुए अभी आठ माह ही हुए थे। इस दौरान वह सिर्फ तीन बार ही ससुराल आई थी। चंद दिन रुकने के बाद उसे वापस पीहर भेज दिया जाता। कारण था लीला से पीछा छुड़वाने की मंशा। लीला का पति भी उससे नफरत करने लगा था। उसने कई बार उसको समझाया भी। लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात। चौथी बार लीला ससुराल आई हुई थी। पीहर वालों ने उसके ससुराल वालों पर दबाव डालकर जो उसे भेजा था। आने के तीन- चार दिन बाद ही एक रात को लीला के पति ने लीला को जबर्दस्ती जहर पिला दिया। उसे यही एक तरीका नजर आया उससे पीछा छुड़ाने का। शोरगुल होने पर कमली भी कमरे में पहुंची पर उसने बहू को बचाने का प्रयास नहीं किया बल्कि चुपचाप रहकर एक तरह से अपनी मौन स्वीकृति दे दी। जहर से लीला की इहलीला समाप्त हो गई और यहीं से हुई कमली, उसके पति और बड़े बेटे के बुरे दिनों की शुरुआत। लीला के पीहर वालों ने उसके पति व सास- ससुर के खिलाफ मामला दर्ज कराया। कमली, उसके पति व बड़े बेटे को सात-सात साल की सजा हो गई।

अवैध रिश्ते की दीमक ने कमली के परिवार को चट कर दिया। वे तीनों जेल पह़ूंच गए और छोटा बेटा मारा- मारा फिरता रहा वह कभी मामा के पास रहने चला जाता , तो कभी अकेला रहता। शायद बाद में तो उसे भी पश्चाताप हुआ हो कि उसकी गलत हरकत ने उसके परिवार को कहीं का नहीं छोड़ा। बदनामी भी हुई और बुरे दिन भी देखने पड़े।

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