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मंगलवार, 13 अक्तूबर 2009

रिश्तों में दरार

महिला कैदी-14

मेरी किताब सलाखों में सिसकती सांसे की चोदहवीं कड़ी

पति की प्रताडऩा ने परमा को कातिल बना दिया। वह नहीं चाहती थी अपने पति को परलोक पहुंचाना, लेकिन उसके सब्र का बांध टूट चुका था। आए दिन पियक्कड़ पति के लात घूसे झेलना अब उसकी वश की बात नहीं रही थी। परेशान होकर परमा ने पति का कत्ल कर दिया। इसमें सहभागी बना उसका बड़ा बेटा व बेटे का दोस्त।
दिल दहल जाता है यह सुनकर कि परमेश्वर का दर्जा प्राप्त पति की हत्या पत्नी ने कर दी? आखिर पति ने परिस्थितियां ही ऐसी पैदा कर दी थी। परमा शादी के १९ साल तक इन परिस्थितियों और विपरीत हालात से जूझती रही, लेकिन फिर एक दिन बोखलाई परमा को पति से छुटकारे का एक ही रास्ता नजर आया और वह था उसे मौत की नींद सुलाना।
इस हादसे ने परमा के परिवार को तबाह कर दिया। परमा व उसका बड़ा बेटा जेल पहुंच गए और छोटा बेटा दर-दर की ठोकरें खाता फिर रहा है। इस हादसे का चश्मदीद गवाह था परमा का छोटा बेटा व उसका दोस्त। अपने छोटे बेटे की गवाही से ही परमा जेल में पहुंची।
मूलत: दिल्ली की रहने वाली परमा का विवाह जयपुर में हुआ था। पति फर्नीचर का काम करते थे। घर का माहौल ठीक था। नववधू बनकर आई परमा और उसका पति ही जयपुर में रहते थे। अन्य ससुराल वाले दूसरे शहर में रहते थे। परमा के पति रणजीत की शराब पीने की लत थी। परमा ने सोचा शायद वे शराब छोड़ देंगे। उसने अपने पति से शराब छोडऩे ने लिए कई बार कहा लेकिन वह नहीं माना। और फिर शादी के चंद महीनों बाद ही परमा पियक्कड़ पति की प्रताडऩा का शिकार होने लगी। फिर भी परमा को उम्मीद थी कि वक्त के साथ-साथ सब सुधर जाएगा। इस बीच परमा के दो लड़के हुए। परमा चुपचाप अपने पति की मार झेलती रही। जब- जब उसने पति का विरोध किया, उसे प्रताडऩा दुगनी ही झेलनी पड़ी। परमा आस लगाए बैठी थी कि बेटों के बड़े होने पर शायद उसका पति लाइन पर आ जाए। इसी उम्मीद से वह झेलती रही अपने पति की प्रताडऩा।
एक अरसे तक पति की प्रताडऩा झेलत झेलते परमा परेेशान हो चुकी थी। एक लम्बे अरसे से वह घुटन भरी जिन्दगी जी रही थी। अन्य ससुराल जन या पीहर वाले जयपुर में रहते नहीं थे, जिनके जरिए वह अपने पति को सही दिशा दिखा सके या जिनको अपनी पीड़ा बता सके। परमा का बड़ा बेटा भी पिता की हरकतों से परेशान था। आए दिन मां की पिटाई भी उसे बर्दाश्त नहीं थी।
परमा के दोनों बेटे किशोर हो चुके थे। पिटाई से पीडि़त परमा को चहुं ओर अंधकार ही नजर आने लगा और फिर एक दिन परमा ने पति से हमेशा के लिए पीछा छुड़ाने का मानस बना लिया। उसने इसमें शामिल किया अपने बेटे व बेटे के दोस्त को। परमा ने पति को जहरीला पदार्थ मिलाकर शराब पिला दी। परमा का बड़ा बेटा भी इस साजिश में शामिल था। और फिर उस रात परमा का पति रणजीत चिर निद्रा में सो गया। परमा का छोटा बेटा यह सब देख रहा था। पिता की मौत उसे बर्दाश्त नहीं हुई और फिर वह झगड़ पड़ा अपनी मां व भाई से। छोटे बेटे ने अपनी मां व भाई के खिलाफ गवाही दी।
बेटे की गवाही से परमा व उसके बड़े बेटे को जेल हो गई। पति की गलत आदतों से परमा तो कहीं की नहीं रही। खुद व बेटा जेल पहुंच गए और छोटा बेटा लावारिश हो गया। दोनों बेटों की पढ़ाई छूट गई। शराब पीने व पत्नी को पीटने की गलत आदत ने इस परिवार को तबाह कर दिया। पत्नी को पति का कातिल बना दिया और बेटे को बाप का। पिता की हत्या से छोटा बेटा अपनी खास मां और भाई से ही नफरत करने लगा। पति की गलत आदत और बिना सोचे गलत राह की ओर बढ़ते चले जाने का ही नतीजा था कि खास रिश्तों में ही दरारें पड़ गईं।

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