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शनिवार, 5 दिसंबर 2009

बिगड़ गई लाडो

महिला कैदी-17

मेरी किताब सलाखों में सिसकती सांसे से




एक औरत ही औरत की आबरू नीलाम करने में भागीदार बन जाए तो इससे बड़ी शर्म की क्या बात होगी। ऐसी ही एक काली करतूत को अंजाम दिया पैंतालीस वर्षीय लाडो देवी ने। लाडो को अपने किए का फल मिला और वह पहुंच गई जेल। उसकी हरकत नारी मर्यादा के खिलाफ थी। उसने एक लड़की का अपहरण कर उसका बलात्कार कराने में मदद की। लाडो की बीती जिन्दगी पर नजर डालने पर लगता है कि परिस्थितियों के बिगडऩे से उसके जीवन में ऐसा मोड़ आया, जिससे वह ऐसे घिनौने अपराध को अंजाम दे बैठी।

लाडो को सात साल की सजा हुई । लाडो ने एक लड़की का अपहरण कर उसे अपने घर में कैद रखा। उस लड़की के साथ लाडो के ही घर में लाडो के एक जानकार ने बलात्कार किया। उसके बाद लाडो उसे जयपुर से दूसरे शहरों में ले गई। नौ दिनों तक वह उस लड़की को विभिन्न शहरों में घूमाती रही। इस दौरान भी लड़की के साथ बलात्कार किया गया और इसमें सहयोगी बनी लाडो देवी। नौ दिन बाद लड़की को बरामद किया गया। लाडो अपने गलत कारनामे के चलते जेल पहुंच गई।

आखिर पैंतालीस वर्षीय यह महिला इस रास्ते की ओर कैसे चल पड़ीï? इस बात का कुछ- कुछ खुलासा होता है लाडो की बीती जिन्दगी को जानने पर।

जयपुर जिले के ही एक गांव की रहने वाली लाडो का विवाह इसी जिले के एक कस्बे में हुआ था। शादी के शुरुआती सात-आठ साल ही खुशी- खुशी गुजरे होंगे कि उसका पति टीबी की बीमारी से चल बसा। लाडो जवानी में ही विधवा हो गई। फिर उसका दूसरा विवाह किया। विवाह के बाद लाडो का जीवन फिर से सामान्य हो गया। पिछले पति की मौत का गम वक्त के मरहम से ठीक हो गया। दूसरे पति के साथ वह खुशियां बांटने लगी। लेकिन शायद लाडो की किस्मत में लम्बे वक्त तक पति का प्यार नहीं था। उसके पति के उसकी देवरानी से अवैध सम्बन्ध हो गए। अपने पति के देवरानी से नाजायज रिश्ते ने तो मानो लाडो का सुख चैन ही छीन लिया। उसने कई बार अपने पति को समझाया व उसे सही रास्ते पर लाने की कोशिश की, लेकिन वह इसमें नाकाम रही। गलत राह पर भटके उसके पति ने लाडो को मारना- पीटना शुरू कर दिया। इन सब परिस्थितियों के चलते लाडो ससुराल छोड़कर जयपुर चली आई। वह जयपुर में मेहनत मजदूरी कर अपना गुजर बसर करने लगी। दो पतियों का साथ छूट जाने से वह बुरी तरह टूट चुकी थी। जवानी के दौर में उसे ऐसे जख्म मिले कि सुख- चैन उससे कोसों दूर चला गया। बिगड़े पारिवारिक माहौल ने अन्तत: लाडो देवी को ही बिगाड़ कर रख दिया और उसे ऐसे अपराध के दलदल में डाल दिया, जिसके बारे में एक नारी के लिए सोचना भी शर्म की बात है।