नाम का चाँद हूं। न चमक है और न दाग। इस दुनिया में आंख खोली,उस दिन ईद का चाँद नजर आया था। दूसरे दिन ईद थी। घर वालों ने चाँद नाम रखकर मुझे भी ईद का चाँद बना दिया। पिछले पंद्रह साल से पत्रकारिता में हूं। फिलहाल हिन्दी के एक प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र में मुख्य उपसंपादक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा हूं। लिखने का शौक था। इसी शौक ने मुझे पत्रकार बना दिया। मेरे बारे में ज्यादा नहीं है लिखने के लिए। बस एक गुजारिश है सभी से मुझे दुआओं में जरूर याद रखें।
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