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मंगलवार, 25 अगस्त 2009

महिला कैदी-7

मेरी किताब सलाखों में सिसकती सांसे की सातवीं कड़ी

सुख-चैन कौसों दूर

दौलतमन्द बनने की चाह ने सुगना को पेशेवर मुजरिम बना दिया। हालांकि उसने अपने काले कारनामों से लाखों की सम्पत्ति जुटाई लेकिन फिर भी सुख- चैन उससे कोसों दूर रहा। शातिर चोर के रूप में पहचान बना चुकी सुगना की जिंदगी बीच-बीच में अपनी आलीशान कोठी में नहीं बल्कि जेल की कोठरी में गुजरी है। उसके गुनाह की सजा उसके दो मासूम बच्चोंं को भी भुगतनी पड़ी जो छोटे होने से अपनी मां के साथ जेल में रहने को मजबूर थे। झुंझुनूं जिले के एक कस्बे में ब्याही सुगना के पति ने जोधपुर में एक रेस्टोरेंट खोल रखा था। वह भी जोधपुर में ही पति के साथ रहती थी। रेस्टोरेंट की आय उन्हें उनकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं लगी। उन्होंने लखपति बनने का शॉर्टकट अपनाने की सोची और चल पड़े गलत राह की ओर। सुगना को चोरी की राह दिखाने का गुनाह उसके पति किशन ने किया । किशन ने अपनी पत्नी को न केवल चोरी और लूट के लिए प्रेरित किया बल्कि कई घटनाएं उन्होंने मिलकर अंजाम दी। शुरुआती चोरी की घटनाएं अंजाम दी किशन ने और इल्जाम ले लिया सुगना ने ताकि किशन पुलिस की पकड से बचकऱ़ बेरोक टोक अपनी करतूतों को अंजाम देता रहे। फिर तो सुगना का भी दिल खुल गया और वो भी बढ़ चली दिशाहीन रास्ते की ओर। वह खुश थी कि ये पैसा उसकी जिंदगी को खुशियों से भरपूर बना देगा। शुरुआती वारदातों में तो पति- पत्नी को कामयाबी मिली, लेकिन फिर सुगना पुलिस की निगाह में आ गई और उसकी पहचान एक शातिर चोर केे रूप मेंं बन गई। चोरी के एक मामले में उसे सात साल की सजा सुनाई गई। सुगना का चोरी का अलग ढंग था। वह नशीला पदार्थ खिलाकर यात्रियों का सामान चुराती थी। अक्सर वह यह वारदात ट्रेन में ही करती थी। महिला होने का फायदा उसे मिलता और वह यात्री के रूप में अपनी पहचान बताकर अन्य यात्रियों से शीघ्र मेलजोल कर लेती। मेलजोल के दौरान ही वह यात्रियों को चाय या खाने- पीने के अन्य सामान में नशीला पदार्थ खिला देती थी। यात्रियों के बेहोश होते ही वह उनका सामान लेकर रफूचक्कर हो जाती। कभी पति-पत्नी इस तरह की घटना को साथ अंजाम देते और कभी अलग-अलग। वह काफी सालों तकं चोरी की वारदातों में शामिल रही। एक बड़े शहर में उसका आलीशान मकान है और राज्य के बाहर उसने जमीन भी खरीदी।सुगना ने कुबूल किया कि पांच -छह साल की चोरी और लूट की वारदातों में उसने लगभग २५-३० लाख का माल साफ किया। उस पर चोरी के नौ केस लगे, इनमें से वह छह केस में बरी भी हो गई। राज्य के कई जिलो से जुड़े इन केसों और उसके काले कारनामों ने उसको शातिर चोर बना दिया। शातिर चोर की छवि के चलते ही उसको कई चोरी के अन्य मामलों में भी गिरफ्त में लिया गया। युवा सुगना को अपने गुनाहों पर बिल्कुल भी अफसोस नहीं था। उसका मानना था जेल उसकेे लिए लंबा ठिकाना नहींं रहती। गलत राह की ओर चल पडी सुगना को सही-गलत का भान नहीं । वह नहीं समझ पाई कि उसकी अब तक की बनी छवि उसको ताउम्र परेशान करेगी। सुगना चाहे खुशी मनाए अपनी लाखों की सम्पत्ति पर, लेकिन यह सम्पत्ति जुटाने पर उसे हासिल क्या हुआ? वह दो मासूमों के साथ जेल में पहुंच गई।सुख की खातिर कमाई यह हराम की कमाई उसके दुखों का कारण बन गई।

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