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शनिवार, 1 अगस्त 2009

गायत्री देवी --खामोश हुआ एक शाही सौन्दर्य

जयपुर की पूर्व महारानी और दुनिया की दस खूबसूरत महिलाओं में शुमार गायत्री देवी के दुनिया छोड़ जाने की खबर पर सहसा भरोसा नहीं हुआ। मुझे लगा मानो वो मेरे सामने है और अपने बचपन को बखूबी बयान कर रही है। इस खबर के साथ ही मेरे जहन में उनसे मुलाकात की वो सारी यादें ताजा हो आईं। लगभाग आधे घण्टे की उस मुलाकात में मैं उनसे बेहद प्रभावित था।
बात लगभग ढाई साल पहले की है। मुझे राजस्थान पत्रिका के परिवार परिशिष्ट के लिए किसी खास शख्सियत का इन्टव्यू करना था। दरअसल हम परिवार में एक नया कॉलम शुरू करने जा रहे थे। इस कॉलम में हम मशहूर शख्सियतों के बचपन के बारे में लिखना चाहते थे। शुरूआत हम महारानी गायत्री देवी से करना चाहते थे। इनसे साक्षात्कार करना कोई आसान काम नहीं था। दरअसल मेरी दिली ख्वाहिश भी थी उनसे मिलने की। मुझे मौका मिला और उनके खूबसूरत बचपन के दिलचस्प पहलू जानने को मिले। मुझे अच्छी तरह याद है बचपन की बात सुनते ही महारानी गायत्री देवी का चेहरा चमक उठा था। वे बोल पड़ीं - बचपन में हम भाई बहिन रोज हाथियों पर सवार होकर घूमने निकलते थे। बड़ा दिलकश नजारा होता था जब हम हाथी की सवारी करते थे। हाथियों की सवारी की बात आते ही मानो वे खो गईं अपने शाही बचपन के स्वर्णिम पलों में। उम्र के आखरी पड़ाव पर भी उनका शाही अंदाज दिलकश था। उनके आवास लिलीपुल के गार्डन में आधा घण्टे की बातचीत में वे कई बार अपने बचपन की यादों में खो गई। बचपन में रोज हाथियों पर सवार होकर गांव में घूमने की बात उन्होंने मुझे कई बार बताई। उन्हें अपने बचपन पर फख्र था और होगा भी क्यों नहीं आखिर यह एक राजकुमारी बचपन था। जब मैंने उनसे पूछा अगर उनको फिर से बचपन मिलता है तो वे किस तरह का बचपन चाहेंगी? उनका कहना था- मैं तो अपना ही बचपन चाहूंगी जो मैंने कुचबिहार में गुजारा। महारानी गायत्री देवी के साथ इस मुलाकात को मैं ताजिन्दगी नहीं भुला पाऊंगा। उनके दुनिया से रुखसत होने का समाचार मिला तो मैंने फिर से फाइल में उनका साक्षात्कार पढ़ा,उनसे बातचीत की रिकॉर्डिंग वाली कैसेट निकालकर फिर से उन्हें सुनने लगा। मुझे लगा मानो राजमाता गायत्री देवी लिलीपूल के गार्डन में बैठकर मुझे अपने बचपन से जुड़ी यादों के बारे में बताती जा रही है और मैं डायरी में इसे नोट करता जा रहा हू। कैसेट खत्म होने पर समझ आया अब तो यह बस याद है जो बाकी रहने वाली है सिर्फ जहन में।


17 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

भाई चांद साहब बड़ी खुशी हुई ये जानकर कि आप भी अपने ही पेशे से हैं और थोड़ी सी ईर्ष्या भी कि आप महारानी से मिलने का सौभाग्य पा चुके है। मुझे यह अवसर नहीं मिला इसका अफसोस मुझे ताजिन्दगी सालता रहेगा ।बहरहाल चिठ्ठाजगत पर आने के लिए बधाई

नदीम अख़्तर ने कहा…

अस्सलामवालयकुम भाई साब
बहुत खुशी हुई जानकर की आप भी पत्रकार हैं। आपकी पोस्ट पढ़ी, बहुत ही अच्छा लिखा है आपने। वैसे भी राजस्थान पत्रिका जैसे प्रतिष्ठित अख्बार में खराब लिखने वाला तो हो ही नहीं सकता। वैसे पत्रिका में जयपुर में मेरे एक मित्र हैं, चंदन शर्मा जी। वहां मेरा एक साथी भी है रंजय कुमार। ये सारे लोग वहां अभी भी काम कर रहे हैं। शायद आप जानते होंगे। खैर, आपका स्वागत है इस ब्लॉग की दुनिया में।

Kaul ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Jitendra Dave ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Kaul ने कहा…

चाँद जी आदाब, और खुशआमदीद। बहुत अच्छा लगा आप को पढ़ कर। अपना परिचय भी आप ने रोचक दिया है - "न चमक है न दाग़ है"। वैसे बिना चमक के होना तो असंभव ही है, और बिना दाग़ के भी। आशा है नियमित लिखते रहेंगे।

Jitendra Dave ने कहा…

चाँद भाई बहुत अच्छा लगा आपको पढ़कर. पत्रिका में काम करना वाकई में एक अच्छी बात है. मैं भी इसके उदैपुर संस्करण से जुड़ा हुआ था. खैर, महारानी के दुर्लभ साक्षात्कार के लिए आभार और हार्दिक साधुवाद. वह अपने समय में दुनिया की ख़ूबसूरत महिला ही नहीं, बल्कि प्रबल आत्मविश्वास से भरी हुई महिला भी थी. उनकी कमी हमेशा खलेगी. आपको शुभकामनाएं.

Unknown ने कहा…

vinamra shraddhanjli divangat ko !

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

स्वागत है आपका...। अच्छी रिपोर्टों की आशा है।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

arre! main to samjha woh chandmohd. hai jiski charcha hawa mein hai. lekin yeh tho serious chandji hain jin kaa swagat blogjagat mein kiya jaayega.

shama ने कहा…

Shubhkamnayon sahit swagat hai..!

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चाँद मोहम्मद ने कहा…

मैं सभी भाइयों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने ब्लॉग जगत मेरा गर्मजोशी के साथ इस्तकबाल किया .सबसे एक ही गुजारिश है मुझे दुआंवों में जरूर याद रखें

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

SWAAGAT HAI .LIKHATE RAHEN

सौरभ श्रीवास्तव ने कहा…

swagat hai badiya post likha

Fakeer Mohammad Ghosee ने कहा…

Asslamualyakum
Bhai Sahab Bahut Accha laga.
Vese Mera Bhi Rishta Rajasthan Patrika se Raha Hai.Mene Raj. Patrika ke Pali Sanskaran me Computer Dept. me kam kiya hai. Sath Hi Mene 100 se bhi jyada Islami Articale likhe hai Jo pali, Jalore, Sirohi Addition me prakashit hue hai.
Aapka Nam to sun rakha tha. Magar vakai Aaj Babut dino ke bad Id ki tarah hi Blog par aapke bare me padha.
Rajendra Yadav (Kartoonist - Pali) se bhi aapke bare me kafi bate hui hai.
Me Aajkal Blog par kam hi aa raha hu. Mera Blog Hail

www.khulikitab.tk

http://fmghosee@blogspot.com

Ummid Hai. Aage bhi Aapse mulakat hoti rahegi.

Mai. Gmail par jyadatar Online rahta hu.
Id : fmghosee@gmail.com

pratima sinha ने कहा…

Chand Bhai , aapka andaz-e-ezhaar bahut hi khubsoorat hai.achchha ye hai ki aap kalam ki duniya ke sipahi hei aur shayad isi liye aapke alfaaz itne sadhe huye , man ko choone wale hai . likhte rahiye , mei aapko hamesh padna chahungi. aur ha , mei ye bhi chahungi ki aap bhi mere blog par aakar mujhe pade aur agar zaroori ho to apne kimti mashwire bhi de.

khuda hafiz.....

Pratima Sinha from MERA AKASH

Unknown ने कहा…

I am sorry I can not put my comments in Hindi as I can not use the pen and I am handicapped as far as finding the font on the blog. Very well written- can I get the copy of the audio interview as her voice echoes in my thoughts.

Fakeer Mohammad Ghosee ने कहा…

baut badhiya, mene pahle bhi ek comment likha tha, lekin aapne use blog par prakashit nahi kiya.